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तेज धार के बीच
समय का
पसरा हुआ विराम।
आँखों में अंधड़
पाँवों ने
पहन लिए अंगार।
और अधिक अस्पष्ट
हो गए
सब धुँधले आकार।
चौराहे पर ठहर गया सब
जैसे ट्रैफिक-जाम।
बंद गली के बंद
मकाँ का
खुला हुआ दरवाजा
टके सेर की बिकती
भाजी
टके सेर का खाजा
अफरातफरी में भूले सब
अपने असली नाम।
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